हँसता खेलता बचपन ,
खिलौनो कि लालसा से भरा बचपन,
शरारतों का प्रतीक बचपन,
भाई, बहन से खिलौनो के लिये लड़ता बचपन,
कुछ ऐसा था मेरा बचपन।
पर आज सडक पर, ये कैसा दिखा बचपन ?
शरारतों से परे, गुमसुम बचपन,
खिलौनो से भरा, मगर सूनी आँखों वाला बचपन,
अपने खिलौने खुद ही बेचता बचपन ?
गरीबी के बोझ से दबा बचपन,
भूखा मगर खुद्दार बचपन,
उफ़्फ़्, ये कैसा बचपन??