क्या सच वही है, जो दिखता है?
जो दिखता नहीं, वह सच नहीं?
जो सदा के लिये नहीं, क्या वो सच नहीं?
Tag: कविता
पूर्णमासी की रात
आज चाँद धरती के निकटतम होगा, खुद को धरती के इतना क़रीब पा, चाँद ख़ुशी से खिल उठेगा, ख़ुशी से वह अपने पूर्ण रूप में लौट, धरती को अपना चमकता चेहरा दिखलाएगा । कई दिनों के इंतज़ार के बाद, ये दोनों चाहनेवाले, एक दूसरे के बेहद क़रीब होंगे, पेड़ नाचने लगेंगे, चकोर चहकने लगेगा, सागर बहकने लगेगा ,…
प्रकृति का संगीत उत्सव
अब असंख्य बादल पानी बरसाए जा रहे हैं,
संगीत निरंतर बज रहा है,
झींगूर नाचे जा रहे हैं,
मेंढक टर टरा रहे हैं,
धरती भी झूम उठी है,
महसूस होता है,
प्रकृति आज संगीत उत्सव मना रही है,